APJ Abdul Kalam Biography | ए पी जे अब्दुल कलाम की जीवनी
पूरा नाम – अबुल पकिर जैनुलाबदीन
जन्म – 15 अक्टूबर 1931
जन्मस्थान – रामेश्वरम, तमिलनाडु
पिता – जैनुलाबदीन
माता – अशींमा जैनुलाबदीन
जन्म – 15 अक्टूबर 1931
जन्मस्थान – रामेश्वरम, तमिलनाडु
पिता – जैनुलाबदीन
माता – अशींमा जैनुलाबदीन
ए.पी.जे.
अब्दुल कलाम की
जीवनी
अबुल पकिर जैनुलाबदीन (ए.पी.जे. अब्दुल कलाम)
2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति रह चुके है. उनका पेशा एक वैज्ञानिक से एक राजनेता के रूप में बदला, कलाम का जन्म रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुआ और वे वही बड़े भी हुए एवम भौतिक विज्ञानं और अन्तरिक्ष प्रोद्योगिकी अभियांत्रिकी में अपनी शिक्षा पूर्ण की.
और उन्होंने अपने जीवन के 40 साल एक वैज्ञानिक और वैज्ञानिक प्रबंधक के रूप में
Defence Research And Development Organisation (DRDO) और
Indian Space Research Organisation (ISRO) में बिताये. और परिचित रूप से इंडियन सिविलियन स्पेस प्रोग्राम और मिलिट्री मिसाइल डेवलपमेंट में भी शामिल हुए.
Ofballistic मिसाइल और वाहन बनाने के तंत्रज्ञान में उनके सराहनीय कार्य करने हेतु उन्हें लोग भारत के “मिसाइल मैन” के नाम से भी जानते है. वे प्रधान संस्थाओ में भी शामिल है. और साथ ही तांत्रिक और राजनितिक रूप से 1998
के भारत के “पोखरण/नुक्लेअर” टेस्ट में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जो 1974
के बाद भारत का पहला नुक्लेअर टेस्ट था.
कलाम को सन 2002 में भारतीय जनता पार्टी और विरोधी भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के सहयोग से भारत का 11 व राष्ट्रपति चुना गया. जो अधिकतर “सामान्य लोगो के राष्ट्रपति” माने जाते थे, और कुछ बाद वे अपने सिविलियन जीवन और सामाजिक कार्यो में पूर्ण रूप से व्यस्त हो गये. वे कई सारे अवार्ड कर हकदार भी रह चुके है, उन्ही में से एक “भारत रत्न” भी उन्हें मिला.
जीवन और शिक्षण
अबुल पाकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931
में एक तमिल मुस्लिम परिवार में तीर्थयात्रा के दौरान, पम्बन द्वीप पर रामेश्वरम में हुआ, जो पहले मद्रास में था और अब वह तमिलनाडु राज्य में है. उनके पिता एक नाव चालक और पास ही की स्थानिक मस्जिद के इमाम थे, उनकी माता अशींमा गृहिणी थी. उनके पिता ने एक नाव खरीद रखी थी जो रामेश्वरम आये हिंदु तीर्थयात्रियो को एक छोर से दुसरे छोर पर छोड़ते थे.
कलाम अपने चार भाइयो में सबसे छोटे थे और उन्हें एक बहन भी थी. उनके पूर्वक जमींदार थे और बहोत आमिर भी थे उन्होंने उनके लिए बहोत सी जमीन छोड़ रखी थी. उनका मुख्य व्यवसाय श्री लंका से अनाज का व्यापार करना था और रामेशवरम आये तीर्थयात्रियो को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना था जैसे की रामेश्वरम से पम्बन. और परिणामतः उनके परिवार को एक नया शीर्षक मिला “Mara Kalam Iyakkivar (लकड़ी की नव से मार्ग दिखने वाले)”, और ये नाम कुछ साल बाद छोटा होकर “Marakier” बना.
1914 में पम्बन पुल के उदघाटन के साथ ही, उनके परिवार का व्यापार पूरी तरह से बंद हो गया और समय के साथ-साथ उन्होंने अपनी सारी जमीन भी खो दी थी, और अपने पुराने घर से भी अलग हो गये थे. और कलाम के बचपन में ही उनका परिवार गरीब हो गया था, और उनके परिवार की मदत करने के उद्देश से वे छोटी से उम्र में अखबार बाटने का काम करते थे.
उनके स्कूल के सालो में, कलाम को एक साधारण विद्यार्थी कहा गया लेकिन साथ ही उन्हें एक होनहार, होशियार और कड़ी महेनत करने वला विद्यार्थी, साथ ही सिखने की इच्छा रखने वाला विद्यार्थी कहा गया. वे घंटो तक पढाई करते, खास कर के गणित के विषयो की.
Schwartz Higher Secondary
School, रामनाथपुरम से अपनी पढाई पूरी करने के बाद, कलाम तिरुचिराप्पल्ली के सैंट जोसफ कॉलेज, पढने के लिए गए. फिर मद्रास यूनिवर्सिटी की शाखा से 1954
में वे भौतिक विज्ञानं से स्नातक हुए.
बाद में वे 1955
में मद्रास गये, जहा मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में अन्तरिक्ष प्रोद्योगिकी अभियांत्रिकी की पढाई की. जब कलाम किसी वरिष्ट कक्षा के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे, वहा डीन उनकी प्रगति से नाखुश थे और उन्होंने कलाम को शिष्यवृत्ति रद्द करने की धमकी भी दी और 3 दिनों में सही तरह से प्रोजेक्ट बनाने कहा.
उस समय कलाम अपनी अन्तिम्रेखा पर थे, लेकिन आखिर में उन्होंने डीन को खुश कर ही दिया और अंत में डीन ने कहा, “मैंने तुम्हे बहोत मुश्किलों और बाधाओ में दाल दिया था”. वे अपने सपने “लड़ाकू पायलट” बन ने से थोड़े से चुक गये, क्यू की वे परीक्षा में 9 वे आये थे और IAF
(इंडियन एयर फ़ोर्स) में केवल 8 ही जगह खली थी.
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम मृत्यु
27 जुलाई
2015 को, कलाम “Creating A Livable Planet
Earth” पर भाषण देने
के लिए इंडियन
इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट,
शिलोंग गये. और
तक़रीबन 6:35 P.M IST के आस-पास, उनके
भाषण के 5 मिनट
बाद ही, वे
निचे गिरे. झा
उन्हें जल्दी में इस
अवस्था में पास
ही के बेथानी
हॉस्पिटल में ले
जाया गया, जहा
उनकी नाडी में
कोई हलचल नहीं
हो रही थी
और जीवन के
कोई संकेत नहीं
दिखाई दे रहे
थे. उन्हें अन्य
जगह पर ले
जाने से पूर्व
ही ये तय
हो चूका था
की 7:45 P.M IST को अचानक
हृदय विकार से
उनकी मौत हो
चुकी थी उनके
अंतिम शब्द उनके
सहायक श्रीजन पाल
सिंह के लिए
थे, जो खबरों
के अनुसार : “मजाकिया
व्यक्ति! क्या तुम
अच्छा कर रहे
हो?” थे.
30 जुलाई
2015 को, किसानो के राष्ट्रपति
रामेश्वरम के पी
करुम्बू मैदान पर पुरे
विश्व के सम्मान
के साथ मिटटी
मं ओझल हो
गये. उनकी अंतिम
यात्रा में करीब
3,50,000 ने अपनी उपस्थिति
दर्ज कराई, जिनमे
भारत के प्रधानमंत्री,
तमिलनाडु के अध्यापक
और कर्नाटक, केरला
और आन्ध्र प्रदेश
के मुख्यमंत्री भी
शामिल थे.
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