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Adolf Hıtler History in Hindi | अडोल्फ़ हिटलर जीवन परिचय

हिटलर से ज्यादा महत्वाकांक्षी इंसान शायद ही इस धरती पर कोई पैदा हुआ होंगा। अडोल्फ़ हिटलर एक ऐसा नाम है जिसके नाम से सिर्फ जर्मनी ही नही बल्कि सारा विश्व एक समय काँपता था। यहूदियों पर उसके द्वारा किये गए अत्याचार से एक बार ऐसा लगा जैसे इस दुनिया से मानवता ख़त्म ही हो जायेंगी।


अडोल्फ़ हिटलर जीवन परिचय 

पूरा नाम  – अडोल्फ़ हिटलर
जन्म       – 20 अप्रैल, 1889
जन्मस्थान – ऑस्ट्रिया
माता       – क्लारा हिटलर
विवाह      इव्हा के साथ
                                                     
अडोल्फ़ हिटलर एक जर्मन राजनेता और नाज़ी पार्टी के नेता और 1933 से 1945 तक जर्मनी के चांसलर थे। 1934 से 1945 तक जर्मनी की नाज़ी पार्टी के नेता बने हुए थे। जर्मनी की नाज़ी पार्टी के तानाशाह रहते हुए उन्होंने यूरोप में द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुवात की थी, जिसमे उन्होंने 1939 में पोलैंड पर हमला किया था और साथ ही द्वितीय विश्व युद्ध में होने वाले सर्वनाश के अडोल्फ़ हिटलर ही मुख्य व्यक्ति थे। हिटलर का जन्म ऑस्ट्रिया में हुआ था, बाद में वे ऑस्ट्रिया-हंगरी का हिस्सा बने और लिंज़ में बड़े हुए।
1913 में हिटलर जर्मनी आए और प्रथम विश्व युद्ध के समय में जर्मनी आर्मी में उन्हें विभूषित किया गया था। 1919 में वे NSDAP की पूर्ववर्ती पार्टी जर्मन वर्कर्स पार्टी में दाखिल हुए और 1921 में वे NSDAP के मुख्य नेता बने।
1923 में उन्होंने पानी पर कब्ज़ा पाने के लिये आकस्मिक ही शासन में परिवर्तन किये। लेकिन हिटलर की परिवर्तन की योजना असफल रही और इस वजह से उन्हें कारावास भी जाना पड़ा था, इसी समय उन्होंने अपनी तानाशाही की शुरुवात अपनी आत्मकथा लिखकर की और साथ ही उन्होंने अपने राजनितिक जीवन में किये गए संघर्ष के बारे में भी लोगो को बताया।
1924 में कारावास से छूटने के बाद वर्सेल्स के समझौते पर आक्रमण करने के बाद उन्हें काफी सहायता मिली थी और मदद मिलने के बाद वे पैन-जर्मनवाद और -साम्यवाद जैसे तत्वों को बढ़ावा देने लगे थे। यहूदी षड़यंत्र का हिस्सा होने की वजह से हिटलर अक्सर अंतर्राष्ट्रीय पूँजीवाद और साम्यवाद को समाप्त करना चाहते थे।
1933 से ही हिटलर की नाज़ी पार्टी जर्मनी के जर्मन राज्यों की सबसे विशाल पार्टी थी, जिसमे 30 जनवरी 1933 को हिटलर की नियुक्ति चांसलर के पद पर की गयी थी। इसके बाद के सभी चुनाव पार्टी ने हिटलर के संगठन से ही जीते, इसके बाद जर्मन राज्यों में एनाब्लिंग एक्ट (Enabling Act) पारित किया गया जिसके चलते वेइमर रिपब्लिक को नाज़ी जर्मनी में परिवर्तित करने की प्रक्रिया भी शुरू की गयी।
हिटलर यहूदी को जर्मनी से निकालना चाहते थे और पहले विश्व युद्ध में हुए अन्याय का जवाब देते हुए वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रिटेन और फ्रांस पर हावी होना चाहते थे। उनके नियुक्त किये जाने के 6 साल बाद जर्मनी के दबाव में जाने के बाद उन्होंने जर्मनी को आर्थिक संकट से उबारा थे और जर्मनी में आर्थिक सुधार किये थे।
जर्मनी में होने वाले पहले विश्व युद्ध के बाद प्रतिबंधो का परित्याग करने का प्रभावशाली कार्य देखने मिला था। लोगो ने भी उस समय हिटलर के निर्णयों की काफी सहायता की थी।
अडोल्फ़ हिटलर ही उस समय जर्मन लोगो के लिये जीने का स्त्रोत थे। उनकी आक्रमक विदेशी निति ही यूरोप में हुए द्वितीय विश्व युद्ध का मुख्य कारण मानी जाती है। उन्होंने ज्यादातर ध्यान पुनरस्त्रीकरण पर दिया और 1 सितम्बर 1939 को ही पोलैंड पर आक्रमण किया और परिणामस्वरूप ब्रिटिश और फ्रेंच ने भी जर्मनी पर आक्रमण करने की घोषणा कर दी। जून 1941 में हिटलर ने सोवियत यूनियन के आक्रमण का आदेश दिया था।
1941 के अंत तक जर्मन सेना और यूरोपियन शक्ति ने ज्यादातर यूरोप और उत्तरी अफ्रीका को हासिल कर लिया था। वे सोवियत यूनियन को पराजित करने में असफल हुए और युद्ध में यूनाइटेड स्टेट का प्रवेश होने के बाद जर्मनी को रक्षात्मक निति अपनानी पड़ी थी और भारी मात्रा में पराजय का सामना करना पड़ रहा था। युद्ध के अंतिम दिनों में, 1945 में बर्लिन के युद्ध के दौरान हिटलर ने अपनी प्रेमिका ईवा ब्राउन से शादी कर ली थी।
30 अप्रैल 1945 को, उन दोनों ने रेड आर्मी के हाथ में आने की बजाये खुद ही की आत्महत्या कर ली और उनके फौजी दस्ते को भी जला दिया गया था।
हिटलर के नेतृत्व में और हिटलर की प्रेरणादायी योजनाओ के बल पर ही नाज़ी साम्राज्य ने तक़रीबन 5.5 मिलियन यहूदियों का रक्त पात किया था और लाखो लोगो ने इस नरसंहार को अपनी आँखों से भी देखा था। हिटलर और नाज़ी साम्राज्य ही तक़रीबन युद्ध में मारे जाने वाले 19.3 मिलियन और युद्ध में कैदी बनाये गए लोगो के जिम्मेदार है। देखा जाये तो युद्ध में तक़रीबन 29 मिलियन सैनिक और नागरिक मारे गए थे, यही यूरोप का द्वितीय विश्व था।
द्वितीय विश्व युद्ध में कुल मारे गए सैनिक और नागरिको की संख्या का हम अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते। ऐसा नरसंहार हमे इतिहास में कही देखने नही मिलेंगा।
अडोल्फ़ हिटलर का परिवार
हिटलर ने लोगो के बीच अपनी छवि ब्रह्मचारी इंसान के रूप में बना रखी थी जिसकी कोई घरेलु जिंदगी ना हो, लोगो की नजरो में उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी राजनितिक मिशन और राष्ट्र के कार्यो को करने में बिताई थी।
1929 में उनकी मुलाकात उनकी प्रेमिका ईवा ब्राउन से हुई थी और अप्रैल 1945 में उन्होंने अपनी प्रेमिका से शादी की थी। सितम्बर 1931 में उनकी अर्ध-भतीजी गेली रूबल ने हिटलर की बंदूक से ही उन्ही के म्युनिक अपार्टमेंट में आत्महत्या की थी। समकालीन व्यक्तियों में ऐसी अफवाह थी की गेली के हिटलर के साथ कुछ ज्यादा ही मधुर संबंध थे और यही प्रेम में मिला गम ही उनकी आत्महत्या का मुख्य कारण भी था। हिटलर के परिवार का अंतिम सदस्य पौला हिटलर था जिसकी मृत्यु 1960 में हुई थी।

एक नजर में अडोल्फ़ हिटलर का इतिहास

सोलह वर्ष की अवस्था में हिटलर स्कूली शिक्षा छोड़ दी। सन 1908 से 1913 तक ये पोस्टकार्ड पर चित्र बनाकर अपना निर्वाह करते रहे। प्रथम विश्वयुद्ध छिड़ने पर हिटलर सेना में भर्ती हो गये। उन्हें दो बारआयरन क्राससे सम्मानित किया गया।
सन 1919 में उन्होंने जर्मन वर्कर्सपार्टी की सदस्यता ग्रहण की। फिर इस पार्टी को उन्होंने नेशनल सोशलिस्ट वर्कर्स पार्टी (नाजी) के रूप में नया नाम दिया। दूरदर्शिता, कड़ी मेहनत,और लगन के कारण हिटलर ने सन 1932 में नाजी पार्टी को जर्मनी के सबसे बड़ा राजनितिक दल बना दिया और सन 1933 में ये इस नाजी पार्टी के सर्वेसर्वा और तानाशाह बन बैठे।
युध्द के मैदान में हिटलर ने सन 1936 में राइनलैड को पुन: प्राप्त किया। सन 1938 में आस्ट्रिया तथा सन 1939 में चेकोस्लोवाकिया के कुछ भाग को भी इन्होंने जीता।
सितंबर 1938 में पौलैंड पर हमला कर हिटलर ने द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुवात की। प्रारंभ में तो इन्हें सफलता मिलती रही, लेकिन सन 1941 में जब उन्होंने रूस पर हमला किया तो उन्हें मुहं की खानी पड़ी।
सन 1931 से 1941 तक के 10 वर्षों में उन्होंने शायद ही कोई राजनितिक भूल की और नेपोलियन द्वारा जीते गये युरोप से बड़ा क्षेत्र अपने अधिकारी में कर लिया।
सन 1944 में हिटलर पर कातिलाना हमला हुआ, वो बच तो गये पर बहुत बीमार पड गये और विक्षिप्त से हो गये। 30 अप्रैल, 1945 को हिटलर ने आत्महत्या कर ली।

विलक्षण राजनकीय प्रतिभा के धनी और तानाशाह एडोल्फ हिटलर को 20 वीं सदी का सर्वाधिक विवादास्पद व्यक्तित्व माना जा सकता है।

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